आजकल तो सभी लोग नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटकते है, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपना नौकरी छोड़कर बिजनेस की ओर भागते हैं । आज हम बात कर रहे हैं।
भाविश अग्रवाल आईआईटी से ग्रेजुएट किया था । 20 अग्रवाल की उम्र 32 साल है और वो ओला के सह-संस्थापक और सीईओ हैं। उन्होंने अपने दोस्त अंकित भाटी के साथ मिलकर इस कंपनी की स्थापना 2011 में कीया था।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि भारत में कैब का मतलब OLA हो चुका है। कंपनी को इस मुकाम तक पहुंचाने वाले भाविश अग्रवाल की एक दिलचस्प कहानी है जो उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा किया है।
भाविश अग्रवाल ने बताया की उनके साथ एक घटना घट जाए जिसके कारण इस कंपनी को शुरू करने का विचार उनके मन में आया था
भाविश ने बताया की बांदीपुर से बैंगलूरु जाने के लिए जब उसने एक कार किराए पर लिया तो कार के ड्राइवर मैसूर में जाकर उससे ज्यादा किराया मांगने लगा और तुम दोनों दोस्तों को बचा हुआ सफर से वापस आना पड़ा क्योंकि उनके पास पैसे बहुत कम थे। कुछ महीने पहले ऑस्ट्रेलिया में साम्राज्य स्थापित करने के बाद अब ओला यूनाइटेड किंगडम की ओर बढ़ गया है अब तो बाजार की जानकारी रखने वाली फर्म KalaGato के मुताबिक भारत में जुलाई 2017 में ओला ने अपना मार्केट शेयर 53 फीसदी बढ़ा दिया था, जो कि दिसंबर तक 56.2 फीसदी हो गया था, जबकि प्रतिद्वंदी उबर का मार्केट शेयर 42 फीसदी से फिसलकर 39.6 फीसदी हो गया था।
उसके बाद 2016-17 में ओला का घाटा बढ़कर 4,897.8 करोड़ रुपये हो गया था ।फीर भी उसकी कुल आय 70 फीसदी बढ़ गई थी। इस वर्ष जुलाई में ओला ने हर कैब राइड के साथ पैसे बनाने वाला ऑफर देकर बड़े मील के पत्थर पार किए। यह अहम उपलब्धि हैं क्योंकि 2015-16 में सवारियों को लुभाने की जंग में कंपनियां प्रति सवारी 100-200 रुपये खो रही थीं।
आपको बता दें कि भावीश अग्रवाल लुधियाना के रहने वाले हैं अफगानिस्तान और यूके में पले-बढ़े हैं। कोटा में तैयारी कर आईआईटी बॉम्बे से कम्यूटर साइंस में पढ़ाई की। माइक्रोसॉफ्ट में कुछ समय तक नौकरी की और जोधपुर के रहने वाले अपने आईआईटियन दोस्त अंकित भाटी के साथ मिलकर Olatrips.com वेबसाइट शुरू की, जोकि आउट स्टेशन ट्रिप्स के लिए कैब मुहैया कराती थी।
जब भाविश अग्रवाल ने घरवालों के सामने बिजनेस मॉडल रखा तो उन्हें समझ नहीं आया था। उन्हें लगा कि माइक्रोसॉफ्ट में आराम की नौकरी करने वाला लड़का ट्रैवल एजेंट बनने पर क्यों तुला है! आखिकार भाविश के प्रयोग को घरवालों से हरी झंडी मिली।
सुत्रो के मुताबिक 2011 में मुंबई के पोबई में वन बीएचके फ्लैट कार्यालय से शुरुआत किया था। उन्होंने कहा कि शुरुआत में तो काफी दिक्कतें आई थी पर गर्लफ्रेंड की कार को भी धंधे में इस्तेमाल किया। जो आज उनकी बीवी है।
उसके बाद स्मार्टफोन ऐप लॉच किया। निवेशक भी जुट गए और जब 2012 में टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट की तरफ से पचास लाख डॉलर का निवेश मिला आज भाविश अग्रवाल भाभी जी ने आसमान को छू रहा है।