आज हम बात कर रहे हैं कानपुर शहर के एक बड़े इंडस्ट्रियल एस्टेट के चेयरमैन विजय कपूर की जिनकी गिनती आज एक सफल उद्योगपति में किया जाता है।
आपको बता दें कि विजय कपूर बीकॉम करके बिजनेस संभालने लगे थे उस समय विजय कपूर को बिजनेस का कोई अंदाजा नहीं था।
15 साल की उम्र में उतर गए थे बिजनेस में, बनना चाहते थे सीए
विजय कपूर ने कहा कि जब मैं बीकॉम किया था उसी साल 1983 में 12वीं पास कीऐ थे। साल 1982 में 12वीं पास करते ही पिता जी ने मुझे बिजनेस लाइन में उतार दिया। उस समय हमारी फैक्ट्री में साइकिल के पार्ट बनते थे।
विजय कपूर ने कहा कि एक दिन उनके पिताजी ने उनसे कहा कि एक बिजनेसमैन आने वाले हैं। वो किसी को भी ₹1 डिस्काउंट नहीं देता है। अगर तुम मुझे उससे ₹100 डिस्काउंट करवा कर दिखा दो तो समझ जाउंगा।
उन्होंने कहा कि जब मैं जीता तब मेरे पिताजी बहुत ज्यादा खुश हुए, उन्होंने कहा कि उसके बाद मेरे पिताजी ने तुरंत ही 80 लाख टर्न ओवर वाली फैक्ट्री की जिम्मेदारी मेरे ऊपर डाल दीया। उसके बाद उन्होंने कहा कि तब मैं बारहवीं में पढ़ता था मेरे पास बिजनेस का कोई तजुर्बा नहीं था लेकिन मैं अपने पिताजी का भरोसा नहीं तोड़ सका और मैं बिजनेस करने के लिए उतर गया ।
उसके बाद उन्होंने कहा कि अभी फिलहाल हमारे पास- करीब आधा दर्जन फैक्ट्री, एक पेट्रोल पंप और दर्जनों कंपनी की फ्रेंचायजी है।
विजय कपूर ने बताया, एक दिन एक व्यापारी फैक्ट्री में आया। उसे 38,100 रुपए देने थे उनके पिता जी ने कहा, ये आदमी अपनी चव्वनी नहीं छोड़ता है। तुम इससे 100 रुपए कम करवा कर दिखाओ। मैं यह शर्त जीत चुका था।
उसके बाद उन्होंने कहा कि 1982 में फैक्ट्री का सालाना टर्न ओवर 80 लाख के करीब था, जो आज बढ़कर 14 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है।
उन्होंने कहा कि उनके पिताजी ने साल 1953 में पहली फैक्ट्री की शुरुआत 2 कमरे से की थी।
सफेद कपड़े पहनने पर पत्नी हुई थी नाराज
उन्होंने अपने बारे में बताया कि पहले वो हमेशा कलरफुल कपड़ा ही पहनते थे लेकिन जब शादी हुआ उसके बाद से वो सफेद कपड़ा पहनने लगे लेकिन उनको पत्नी को यह कपड़ा बिल्कुल पसंद नहीं था।
जब पहली बार सफ़ेद पैंट, सफ़ेद शर्ट, सफ़ेद जूता पहना तो पत्नी (रमन) नाराज हो गई। एक हफ्ते तक बात नहीं की। लेकिन बाद में सब ठीक हो गया और सफेद कपड़े की इजाजत मिल गई। हालांकि, अब मैं ये ड्रेस तभी पहनता हूं जब पत्नी साथ नहीं होती है।